इस संसार में बहुत सी ऐसी रहस्यमयी चीजें हैं जो इंसान और विज्ञान को चुनौती देती आई हैं। ऐसी ही रहस्यमयी चीजों में से एक है – जलपरी, जिसे हम आज तक सिर्फ दंत कथाओं में सुनते आ रहे हैं लेकिन उनके वजूद का कोई ठोस प्रमाण आज तक नहीं मिल पाया।
Mermaid Mystery/Facts in Hindi
अगर इतिहास खंगाल कर देखें तो हमें ऐसी बहुत सी कहानियां मिलती हैं जो जलपरी के वजूद को सही प्रमाणित करती हैं। वैसे इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता। तो आइए देखते हैं ये लेख जहां हम जानेंगे कुछ ऐसे ही रहस्यमयी सवालों के जवाब। Asli Jalpari ka Rahasya (असली जलपरी का रहस्य)
क्रिस्टोफर कोलंबस ने देखी थी 3 असली जलपरियाँ
सन 1493 में क्रिस्टोफर कोलंबस ने डोमिनिक रिपब्लिकन के करीब से समुद्र में यात्रा करते समय तीन जल परियों को देखने का दावा किया था। कोलंबस ने अपने एक लेख में यह भी लिखा था कि उसकी आंखों के सामने समुद्र में मानव मछली की तरह एक जंतु दिखाई दिया था।
वैसे कोलंबस ने जलपरियों का जैसा विश्लेषण अपनी किताब में किया है उसे आज हम पेंटिंग्स में नहीं देख पाते।कोलंबस कि इन्होंने समुद्री विज्ञान के सामने सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ वैज्ञानिकों का तो यह भी मानना है कि उन्होंने जल परियां नहीं मेनितीस देखी थी।
जैसा कि हम जानते हैं पाषाण काल में ही मानव ने गुफा चित्रण करना शुरू कर दिया था। जो आज भी हम दुनिया के हर कोने में देख सकते हैं। मिस्र के प्राचीन गुफाओं में कई सारे ऐसे चित्र मिले हैं जिनमें इंसान जलपरी का शिकार कर रहे हैं। क्योंकि उस काल में मानव के पास लिखने पढ़ने के गुण नहीं थे इसलिए उन्होंने अपने अंदर के भाव प्रकट करने के लिए चित्रकला का सहारा लिया। चित्रकला को समझने वालों का मानना है कि शिकार ही वह कारण था जिसकी वजह से जलपरियां इंसानों से छुप कर रहती थी जो आज भी जलपरियों के होने के वजूद को सिद्ध करता है।
डॉ जे. ग्रिफिन के पास थी असली जलपरी
जुलाई 1842 न्यूयॉर्क, अमेरिका – ब्रिटिश द सीएम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के मेंबर डॉ जे. ग्रिफिन नामक व्यक्ति ने यह दावा किया कि उनके पास एक असली की जलपरी है जिसे उन्होंने साउथ पेसिफिक में मौजूद फिजी आईलैंड से पकड़ा है। यह खबर न्यूयॉर्क सिटी में आग की तरह फैल गई और मीडिया वाले जमा होने लगे और जलपरी को दिखाने की बात कही।
और फिर ग्रिफिन ने जो दिखाया वह 100% सच साबित हुआ जिसे देख लोगों ने यह मान लिया कि वह वास्तव में एक जलपरी है। फिर दूसरे ही दिन मीडिया वालों ने इस बारे में छापा जिसे पढ़कर एक सर्कस वाले ने ग्रिफिन से वह जलपरी मुंह मांगी रकम में खरीदनी चाहिए पर उन्होंने उसे नहीं बेचा।
सालों बाद 1865 में एक बार फिर से लोगों के लिए प्रदर्शित किया जाना था पर इसके 2 दिन पहले ही म्यूजियम में आग लग गई जहां इस मरमेड (जलपरी) को रखा गया था। इसके बाद से इस जलपरी को कभी भी नहीं देखा गया पर कुछ विचारकों का यह मानना था कि यह आग एक सोची समझी चाल थी जिससे सबूतों को मिटाया जा सके।
जलपरियों पर डॉक्यूमेंट्री
सन 2012 में डिस्कवरी और एनिमल प्लेनेट पर एक डॉक्यूमेंट्री चलाई गई जिसका नाम था मरमेड – द बॉडी फाउंड। इस डॉक्यूमेंट्री में अनिमेशन के जरिए जल परियों के अस्तित्व को दर्शाने की कोशिश की गई थी जो लोगों के बीच में काफी दिनों तक चर्चा का विषय बन गई।
इसके 1 साल बाद मरमेड – द न्यू एविडेंस नाम से एक और डॉक्यूमेंट्री चलाई गई जिसमें समुद्र के अंदर एक साइंटिफिक टीम द्वारा इन्वेस्टिगेशन के वीडियो फुटेज को दर्शाया गया। लेकिन सबसे खास बात तो यह थी कि इस इन्वेस्टिगेशन में ली गई फुटेज जो सामने आई वह निश्चित ही चौंकाने वाली थी, जिसे देख किसी भी आम इंसान की सांसे थम जाएं।
तो जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस फुटेज में एक समुद्री जीव कैमरे में नजर आता है जिसका आधा शरीर इंसान का तो आधा मछली जैसा है जो जल परियों के अस्तित्व को पूरी तरह से सिद्ध करते नजर आता है।
लेकिन शो के आखिरी में कुछ सेकंड के लिए एक डिस्क्लेमर था जिस पर यह साफ लिखा था कि यह एक साइंस फिक्शन शो है जो सत्य घटनाओं पर आधारित है। इस डॉक्यूमेंट्री में दिखाए गए NOAA यानी National Oceanic and Atmospheric Administration के वैज्ञानिक पैड आर्टिस्ट थे जो कि NOAA के मुताबिक जल परियों से संबंधित ऐसी कोई जानकारी उनके हाथ ही नहीं लगी थी।
वैसे इसी के साथ शुरू हुई समुद्री जल परियों पर शोध जिसमें पूरे विश्व के बड़े से बड़े वैज्ञानिक अपनी रिसर्च आगे बढ़ाते गए। जिसके बाद से सोशल मीडिया पर ऐसी वीडियो और तस्वीरें सामने आती रहीं जो हमेशा से जल परियों की जिंदगी पर सवाल उठाती रही। हालांकि इन सभी के प्रश्नों पर रोक लगा दी जाती है या फिर इनको सभी को आम जनता से दूर रखा जाता है।
अगर आप हिंदू पौराणिक कथाओं को देखते हैं –
हमें महाभारत और भारतीय रामायण के थाई और कंबोडियन संस्करणों में मत्स्यांगना का भी उल्लेख मिलता है। थाई और कंबोडियन संस्करणों में, रावण की बेटी सुवर्णमच्छा का उल्लेख किया गया है, जो एक सोने की मत्स्यांगना थी। महाभारत के अनुसार, अर्जुन की पत्नी उलूपी का उल्लेख कई स्थानों पर जलपरी के रूप में भी मिलता है। कहा जाता है कि वह एक नागकन्या थी जो पानी में रहती थी। इसके अलावा, उल्लेख भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार का भी है, जिनका शरीर का ऊपरी हिस्सा मानव था और निचला हिस्सा मछली की तरह था।
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तो क्या हम बचपन में जिन कथा और कहानियों में जलपरी का नाम सुनते आ रहे हैं, क्या वह हमारी एक कल्पना मात्र है जिससे आए दिन हम दुनिया के कई कोनों में उनके जीवाश्म को पाए या देखे जाने की खबरें सुनते हैं? क्या वह सब झूठ हैं, केवल एक मिथ ही हैं?
मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता क्योंकि युगों युगों से चली आ रही इस जलपरी की कल्पना में कुछ तो सच्चाई होगी। जलपरी के बारे में विकिपीडिया पर पढ़ें.
तो दोस्तों क्या आप भी जलपरियों के वजूद के होने की बात पर विश्वास रखते हैं हमें कमेंट करके जरूर बताएं और यदि यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें और ऐसे रहस्यमयी लेख पढ़ना चाहते हैं तो अभी हमारे रोशनदान ब्लॉग को बुकमार्क करें। धन्यवाद।
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