कविताएँ मेरे जैसे मूर्ख ही बनाते हैं, पर केवल भगवान ही एक वृक्ष बना सकता है। ~ JOYCE KILMER
Poem on Tree in Hindi: पेड़ हमेशा दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। पेड़ों पर काफी कवितायें भी लिखी गयी हैं.
पेड़ हमारे पर्यावरण और मानव कल्याण के लिए अमूल्य हैं। वे हमें पीने के लिए स्वच्छ पानी, सांस लेने के लिए हवा, मनुष्यों, जानवरों को छाया और भोजन देते हैं।
वे जीवों और वनस्पतियों की कई प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं. पेड़ वैश्विक पर्यावरण (global environment) और वहाँ रहने वाली प्रजातियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
कई जीवित प्रजातियां पेड़ों में रहती हैं। पेड़ कई जानवरों, पक्षियों और कीड़ों के प्राकृतिक आवास का निर्माण करते हैं। पेड़ भूमि को उपजाऊ बनाने में मदद करते हैं। हमें उपजाऊ भूमि से अच्छी फसलें मिलती हैं।
पेड़ Oxygen छोड़ते हैं जो हमें अपने जीवन के लिए चाहिए। वे carbon-dioxide (कार्बन डाइऑक्साइड) को भी अवशोषित करते हैं।
वे फल और फूलों के भण्डार हैं। वे हमें गर्मियों के दौरान शांत और शीतल छाया प्रदान करते हैं। और उन्हें हमारी देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है।
आइये देखते हैं कुछ Tree Poems in Hindi (Poem on Tree in Hindi).
8 Amazing Poem on Tree in Hindi
- 8 Amazing Poem on Tree in Hindi
- Tree Poem 1: हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
- Tree Poem 2: बूढ़ा-सा इक पेड़ मेरा वाक़िफ़ है
- Poem 3: वृक्ष (Trees) |Poem on Tree in Hindi
- Poem 4: कोमल दिल है जिसका | Tree Poem in Hindi
- Poem 5: अगर पेड़ भी चलते होते | Poem on Tree in Hindi
- Tree Poem 6: मैं अब हर पेड़ खाता हूँ
- Poem 7: हरे भरे मतवाले वृक्ष
- Poem 8: चिड़िया कहाँ रहेगी? | Poem on Tree in Hindi
Tree Poem 1: हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
हम पानी का जहाज उगाते हैं, जो समुन्दर पार करेगा।
हम मस्तूल उगाते हैं, जिस पर बँधेगी पाल।
हम वे फट्टे उगाते हैं,
जो करेंगे हवाओं के थपेड़ों का सामना।
जहाज का तला, शहतीर और कोहनी उगाते हैं।
जब हम पेड़ लगाते हैं, तो पानी का पूरा जहाज उगाते हैं।
हम अपने और तुम्हारे लिए एक घर उगाते हैं।
हम बल्लियाँ, पटिए और फर्श उगाते हैं।
हम खिड़की, रोशनदान और दरवाज़े उगाते हैं।
हम छत के लट्ठे, शहतीर
और उसके तमाम हिस्से उगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
ऐसी हज़ारों चीज़ें, जिन्हें हम दिन में देखते हैं।
हम गुंबद से भी ऊपर आनेवाला शिखर उगाते हैं।
हम अपने देश का झंडा फहराने वाला स्तंभ उगाते हैं।
सूरज की गर्मी से छाया मानो मुफ़्त ही उगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
हम रंग, फल-फूल और खुश्बू उगाते हैं।
दवाएं, स्वाद और सेहत उगाते हैं।
हम कागज़-कलम, कुर्सी और मेज उगाते हैं।
हम पेड़ लगाते हैं, तो क्या उगाते हैं?
हम पलंग, पालना और कपड़े उगाते हैं।
हम ऑक्सीजन और ताजगी एकदम मुफ्त उगाते हैं।
हम बादलों को बुलाने और धरती की मिटटी को थामे रखने वाले हाथ और उँगलियाँ उगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
हम गिल्लियां, बल्ले, कैरम, गिटीयां और खेल का तमाम सामान उगाते हैं।
हम मवेशियों के लिए भोजन, पौधों के लिए खाद उगाते हैं।
चिड़ियों के घोंसले, जानवरों के कोटर उगाते हैं।
और अपने जीने-मरने और रमने का सब साजो-सामान उगाते हैं।
हम क्या उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं?
हम ज़िन्दगी और ज़िंदादिली उगाते हैं, जब हम पेड़ लगाते हैं।
~ अज्ञात
Tree Poem 2: बूढ़ा-सा इक पेड़ मेरा वाक़िफ़ है
मोड़ पे देखा है वह बूढ़ा-सा इक पेड़ कभी?
मेरा वाक़िफ़ है, बहुत सालों से मैं उसे जानता हूँ
जब मैं छोटा था तो इक आम उड़ाने के लिए परली दीवार से कंधे पर चढा था
उसके जाने दुखती हुई किस शाख़ से जा पाँव लगा धाड़ से फेंक दिया था मुझे नीचे उसने
मैंने खुन्नस में बहुत फेंके थे पत्थर उस पर
मेरी शादी पे मुझे याद है शाख़ें देकर मेरी वेदी का हवन गर्म किया था उसने
और जब हामिला थी ‘बीबा तो दोपहर में हर दिन मेरी बीवी की तरफ कैरियां फेंकी थीं इसी ने
वक्त के साथ सभी फूल, सभी पत्ते गए तब भी जल जाता था
जब मुन्ने से कहती ‘बीबा’ ‘हाँ उसी पेड़ से आया है तू, पेड़ का फल है’
अब भी जल जाता हूँ, जब मोड़ गुजरते में कभी खाँसकर कहता है,
‘क्यों सर के सभी बाल गए?
सुबह से काट रहे हैं वो कमेटी वाले मोड़ तक
जाने की हिम्मत नहीं होती मुझको…
~ अज्ञात
Poem 3: वृक्ष (Trees) |Poem on Tree in Hindi
मुझे लगता है कि मैं कभी नहीं देख सकूंगा
एक वृक्ष जितनी प्यारी कविता
एक वृक्ष जो अपना भूखा मुँह फैलाए हुए है
पृथ्वी के मीठे बहने वाले स्तन की ओर;
एक वृक्ष जो पूरे दिन भगवान को देखता है,
और प्रार्थना करने के लिए पत्तेदार हाथों को उठाता है;
एक वृक्ष जो गर्मियों में पहनता है
अपने बालों में एक घोंसला;
जिसके अस्थि-पंजर पर बर्फ जमी हुई है;
जो अन्तरंग रूप से बारिश के साथ रहता है।
कविताएँ मेरे जैसे मूर्ख ही बनाते हैं,
पर केवल भगवान ही एक वृक्ष बना सकता है।
~ JOYCE KILMER, रोशनदान टीम द्वारा अनुवादित
Poem 4: कोमल दिल है जिसका | Tree Poem in Hindi
जो जन्मा वहीं,
पला वहीं,
बड़ा वहीं,
अपने दर्दो का हाल भी,
जिसने कभी कहा नहीं।
उसी एक जगह जो खेला,
देखा वहीं से जिसने दुनिया का हर मेला
बस बनके रह गया जैसे वो,
उसी एक जगह का चेला।
करता अपने कर्म जो निस्वार्थ भाव से
पीता हर पल विष (carbon dioxide) का घूँट
वो बड़े ही चाव से।
ऐसा कोमल दिल है जिसका
फिर भी कोई सगा नहीं उसका।
हर हाल में जानता है वो खुश रहना
ईश्वर के ऐसे रूप के लिए,
मेरा तो बस यही है कहना।
तुम्हारे स्वरुप में है कितनी निर्मलता
ऐसे स्वरुप को समझने का सौभाग्य बस
कुछ को ही मिलता।
~ प्रेरणा गुप्ता
Poem 5: अगर पेड़ भी चलते होते | Poem on Tree in Hindi
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते।
बाँध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते ।
जहां कहीं भी सताती धूप
उसके नीचे झट सुस्ताते,
जहाँ कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते।
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते,
आती कीचड़, बाढ़ कहीं तो
झट उसके ऊपर चढ़ जाते।
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते।
~ अज्ञात
Tree Poem 6: मैं अब हर पेड़ खाता हूँ
जो डालें हैं जुड़ी उन्हें मैं छांट देता हूँ,
दरख्तों की जड़ों को भी, गर्त तक काट देता हूँ,
मैं हूँ अब बागबाँ ऐसा, जो खारों की फसल बोता,
मैं इंसान ही नही हूँ अब, मैं अब हर पेड़ खाता हूँ।
मैं अपने आशियाने में कटी लकड़ी लगाता हूँ,
बुरादे सा जब उड़ता है, जो उनका लहू मुझ पर,
मैं खुद पे मुस्कुराता हूँ।
दरख्तों की कबर पर मैं मेरी ‘मंज़िल’ सजाता हूँ,
मैं अपनी बागवानी की, मिसालें खुद ही गाता हूँ।
~ अज्ञात
Poem 7: हरे भरे मतवाले वृक्ष
धरती माँ का रूप सजाते,
हरे भरे मतवाले वृक्ष.
शीतल मधुर समीर बहाते,
होते बड़े निराले वृक्ष.
पथिकों को छाया देते हैं,
गर्मी के मौसम में वृक्ष.
नीर बादलों से लेते हैं,
प्रतिदिन अपने श्रम से वृक्ष.
देते हैं फल फूल निरंतर,
कभी नही कुछ लेते वृक्ष.
मानव सेवा धर्म मानकर,
अपना जीवन देते वृक्ष.
लेकिन मानव दानव बन कर,
सारे जंगल पाट रहा है.
वृक्षों के उपकार भूल कर,
प्रतिदिन इनको काट रहा है.
एक समय ऐसा आयेगा,
धरती बंजर हो जायेगी.
मानव की नादानी बच्चों,
मानव को ही खा जायेगी.
~ अज्ञात
Poem 8: चिड़िया कहाँ रहेगी? | Poem on Tree in Hindi
आंधी आई जोर शोर से
डाली टूटी है झकोर से
उड़ा घोसला बेचारी का
किससे अपनी बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहां रहेगी?
घर में पेड़ कहां से लाएं
कैसे यह घोसला बनाएं
कैसे फूटे अंडे जोड़ें
किससे यह सब बात कहेगी
अब यह चिड़िया कहां रहेगी?
~ अज्ञात
पेड़ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़ों की कटाई से eco-system गड़बड़ा जाता है। हमें बड़ी सावधानी से पेड़-पौधों का संरक्षण करना चाहिए। हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए.
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