Poem on Environment in Hindi | पर्यावरण पर 8 कवितायें

poem on environment in hindi

पर्यावरण को बचाने में मदद करने के लिए आप सबसे अच्छे कामों में से हैं, – इसका संरक्षण और दोबारा उपयोग। छोटी छोटी शुरुआत करें और अपनी दैनिक आदतों को बदलकर अपनी भागीदारी दें। आपको पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए पेश हैं ये Poem on Environment in Hindi.

पर्यावरण को बचाने में मदद करने के लिए, ऊर्जा और पानी की खपत को कम से कम करने की कोशिश करें. प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अपने खाने और परिवहन की आदतों को बदलना; और अधिक पर्यावरण के अनुकूल होने को “reducing, reusing, and recycling” पर अमल करें।

एक बार जब आप अपनी जीवन शैली को अधिक पर्यावरणीय रूप से सचेत कर लेते हैं, तो आप दूसरों को भी ऐसा करने में मदद करने के लिए शामिल हो सकते हैं।

Save Environment Tips:

  • मांस खाना बंद कर दें (या इसे कम करें)।
  • सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • पानी का उपयोग समझदारी से करें।
  • अपने जीवन में कागज के उपयोग की मात्रा कम करें।
  • रिफिल करने योग्य पानी की बोतल और लंच कंटेनर का उपयोग करें।

पर्यावरण बचाओ पर कवितायें

#1. Poem on Environment in Hindi | आओ, मिलकर बचाएँ

अपनी बस्तियों की
नंगी होने से
शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे

बचाएँ डूबने से
पूरी की पूरी बस्ती को
हड़िया में
अपने चहरे पर
संथाल परगना की माटी का रंग
भाषा में झारखंडिपन

ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
मन का हरापन

भोलापन दिल का
अक्खड़पन, जुझारूपन भी

भीतर की आग
धनुष की डोरी
तीर का नुकीलापन
कुल्हाड़ी की धार
जगंल की ताज हवा

नदियों की निर्मलता
पहाड़ों का मौन
गीतों की धुन
मिट्टी का सोंधापन
फसलों की लहलहाहट

नाचने के लिए खुला आँगन
गाने के लिए गीत
हँसने के लिए थोड़ी-सी खिलखिलाहट
रोने के लिए मुट्ठी भर एकान्त

बच्चों के लिए मैदान
पशुओं के लिए हरी-हरी घास
बूढ़ों के लिए पहाड़ों की शांति

और इस अविश्वास-भरे दौर में
थोड़ा-सा विश्वास
थोड़ी-सी उम्मीद
थोडे-से सपने

आओ, मिलकर बचाएँ
कि इस दौर में भी बचाने को
बहुत कुछ बचा है
अब भी हमारे पास!

poem on save environment in hindi
Poem on save environment in Hindi – Paryavaran par Kavita

#2. Environment Poem in Hindi | संकल्प पर्यावरण संरक्षण का

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा,
यह हमको सब कुछ देती है।
माँ जैसी ममता को देकर,
अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में,
हमनें जगती को भुला दिया।
कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़,
हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज,
हम स्वच्छ हवा को तरस रहे
वृक्षों के कटने के कारण,
अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने,
माँ धरती को विरान कर डाला।
बनते अपने में होशियार,
अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब,
धरती पर अत्याचारों को।
संस्कृति का सम्मान न करते,
भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले,
धरती को हरा – भरा बनायेगे।
वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर,
पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को,
रोगों से मुक्ति करेगे हम।
दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि,
धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक,
जन – जन से वृक्ष लगवायेगे।
चला – चला अभियान यही,
बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को,
तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे।
कभी कभी ही नहीं सदा हम,
पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ,
धरती का सौंदर्य बढाओ।
एक बरस में एक बार ना,
5 जून हर रोज मनाओ।


#3. Poem on Environment in Hindi | पर्यावरण पर एक नम्र निवेदन कविता

न नहर पाटो, न तालाब पाटो,
बस जीवन के खातिर न वृक्ष काटो।

ताल तलैया जल भर लेते,
प्यासों की प्यास, स्वयं हर लेते।
सुधा सम नीर अमित बांटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,

स्नान करते राम रहीम रमेश,
रजनी भी गोते लगाये।
क्षय करे जो भी इन्हें, तुम उन सब को डाटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,

नहर का पानी बड़ी दूर तक जाये,
गेहूं चना और धान उगाये।
फिर गेंहू से सरसों अलग छाटों,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,

फल और फूल वृक्ष हमें देते,
औषधियों से रोग हर लेते।
लाख कुल मुदित हँसे,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो,

स्वच्छ हवा हम इनसे पाते,
जीवन जीने योग्य बनाते
दूर होवे प्रदूषण जो करे आटो,
न नहर पाटो, न तालाब पाटो।


#4. पर्यावरण बचाओ – आज समय की मांग यही है

पर्यावरण बचाओ.
ध्वनि, मिट्टी, जल, वायु आदि सब,
पर्यावरण हमारे।
जीव जगत के मित्र सभी ये,
जीवन देते सारे।
इनसे अपना नाता जोड़ो,
इनको मित्र बनाओ.
पर्यावरण…

तब तक जीव है जगत में,
जब तक जग में पानी।
जब तक वायु शुद्ध रहती है,
सोंधी मिट्टी रानी।
तब तक मानव का जीवन है,
यह सबको समझाओ।
पर्यावरण…

हरियाली की महिमा समझो,
वृक्षों को पहचानो।
ये मानव के जीवन दाता,
इनको अपना मानो।
एक वृक्ष यदि कट जाये तो,
ग्यारह वृक्ष लगाओ।
पर्यावरण…

जीव जगत की रक्षा करना,
अब कर्तव्य हमारा।
शोर और मिट्टी का संकट,
दूर करेंगे सारा।
एक वृक्ष हम नित रोपेंगे,
आज शपथ ये खाओ।
पर्यावरण …

आज समय की मांग यही है,
पर्यावरण बचाओ।


#5. विश्व पर्यावरण दिवस पर हिन्दी कविता – करके ऐसा काम दिखा दो

Poem on Environment in Hindi

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे।
इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे।
हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो,
खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे।
करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे।
सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे।
वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना,
दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे।
करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे।
हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे।
जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो,
जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे।
करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे।
जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे।
जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा,
कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे।
करके ऐसा काम दिखा दो…


#6. Poem on World Environment Day in Hindi – आज मौसम कुछ उदास है

आज मौसम कुछ उदास है
कहना चाहता मुझसे अपनी कोई बात है।
आजकल कुछ सहमा सा दिखता है,
कोई न कोई तो बात है, जब ही आज बैठा गुमसुम सा उदास है।
जब मैंने पूछा –
“आज तुम्हारा बदन इतना मैला क्यों है,
क्यों बैठा तू, इतना गुमसुम सा उदास है। ”
तो पलट कर उसने जवाब दिया –
आजकल स्वास्थ थोड़ा ख़राब है,
ये सब तुम्हारा ही तो किया कलाप है।
और पूछते मुझसे, क्यों बैठा तू उदास है।

तुम करते इस पर्यावरण को गन्दा,
पर्यावण की कीमत पर करते आनंद, भोग और क्रिया कलाप हो।
मैंने कहा “आज देश कर रहा विकास है,
किया जा रहा, पर्यावण को शुद्ध करने का प्रयास है,
फिर भी तू हमसे इतना निराश है।”

Happy World Environment Day


#8. Poem on World Environment Day in Hindi – पेड़ की पुकार

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।
रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है।
हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है।
पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे।
हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान।
हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो।
लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा।
त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है।
हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।


उम्मीद है आपको ये सभी Poem on Environment in Hindi अच्छी लगी होंगी. अब पढ़ें >> Slogan on Save Environment – पर्यावरण बचाओ पर नारे

यह भी पढ़ें –

Picture of Editorial Team

Editorial Team

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Posts