महाभारत – यह शब्द आप सभी लोगों ने अपने जीवन काल में कभी ना कभी तो सुना ही होगा। तो क्या आप जानते हैं इस महाभारत काल से जुड़ा एक ऐसे अनसुलझे रहस्य के बारे में जो 18 संख्या पर आधारित है? क्या यह सिर्फ संयोग है या इसके पीछे कोई रहस्य छिपा हुआ है?
तो चलिए आज के हमारे इस लेख में यही समझने की कोशिश करते हैं कि 18 संख्या से जुड़े 7 ऐसे संयोग जो उस समय घटे थे
18 पर्वों की रचना
आप सब यह सोच रहे होंगे कि अब यह पर्व क्या है। जब ऋषि वेदव्यास जी ने महाभारत ग्रंथ की रचना की थी तब उन्होंने इसे कुल 18 पर्वों में विभाजित किया था, ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार उन्होंने पुराणों की रचना की थी। तो चलिए उन पर्वों के बारे में जानते हैं जो इस प्रकार हैं –
आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, अनुशासन पर्व, मौसुल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रमवासिका पर्व।
अर्थात महाभारत की पूरी कहानी इन्हीं 18 पर्वों को पढ़कर समझी जा सकती है।
18 अक्षौहिणी सेना
कौरव तथा पांडवों की सेना में कुल 18 अक्षौहिणी सेना थी जिसमें कौरवों की तरफ से 11 तथा पांडवों की तरफ से 7 सेना थी। जहां एक अक्षौहिणी सेना में कुल 21870 रथ, 21870 हाथी, 65610 घोड़े, 109350 सैनिक यानी कुल मिलाकर एक अक्षौहिणी सेना में कुल 218700 सैनिक होते हैं जिसे आदि पर्व में बताया गया है। अब आश्चर्य की बात यह है कि हर एक संख्या को जोड़ा जाए तो भी 18 ही आते हैं।
18 प्रमुख सूत्रधार
इस युद्ध में कुल 18 प्रमुख सूत्रधार थे जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं –
धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, शकुनि, भीष्म, गुरु द्रोण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, कृतवर्मा, श्री कृष्ण, विदुर, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और द्रौपदी.
18 दिन का युद्ध
यह तो आप सभी जानते ही होंगे कि महाभारत का युद्ध कुल 18 दिन तक चला था।
18 दिन का गीता ज्ञान
गीता का ज्ञान भगवान श्री कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का यह ज्ञान दिया था।
18 अध्याय
इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता जिसे महान ग्रंथ माना जाता है उसमें कुल 18 अध्याय हैं. क्या आप जानते हैं कि यह श्रीमद भगवत गीता किस पर्व से लिया गया है? तो आपको बता दें कि यह इन्हीं पर्वों में से एक है जो कि विश्व पर्व है।
18 महारथी जीवित बचे
महाभारत के इस युद्ध में 18 महारथी ही जीवित बचे थे जिसमें पांडवों की तरफ से 15 तथा कौरवों की तरफ से तीन ही महारथी बचे थे।
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तो क्या इतनी सारी घटनायें 18 की संख्या में हो रही हैं, वह बस एक संयोग है या इसके पीछे कुछ रहस्य छिपा हुआ है। हमें तो ऐसा लगता है कि इसके पीछे कोई ना कोई रहस्य अवश्य छिपा होगा जिसकी दोबारा भगवान या यूं कह लो कि महर्षि वेदव्यास जी कुछ संकेत देना चाहते थे।
ऐसा माना जाता है कि 18 संख्या, अंक 1 और 8 को जोड़ने पर 9 बनता है और नौ का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। क्योंकि वो किसी भी अंक में सबसे बड़ी संख्या होती है। लेकिन हमें ऐसा लगता है कि इसका रहस्य कुछ और ही हो सकता है।
तो अगर आपको लगता है कि इसके पीछे कोई और रहस्य छुपा है तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करना ना भूलें। हम आगे भी ऐसे रहस्य रोशनदान ब्लॉग पर लिखते रहेंगे।
One Response
महाभारत में 18 के अंक का रहस्य:- 18 दिन तक युद्ध का होना, महाभारत ग्रंथ में 18 पर्व ही होना, महाभारत के अंतिम दिन केवल 18 योद्धाओं का ही बचना, गीता में भी 18 अध्याय ही होना। यह सब संयोग नही था। भारतीय संस्कृति में 24 के अंक का बहुत गहरा महत्व है।24 अवतार,गायत्री मंत्र में 24 ही अक्षर, 24 मिनिट मे ही हम 360 बार श्वास ले लेते है, 24 मिनिट की ही 1 घटी ।इसी प्रकार मेरी दृष्टि में चतुर्युग 24 घंटे को चार भागों में विभाजित करने वाली ही प्रक्रिया है ।प्रथम 6 घंटे को सतयुग की संज्ञा दी गई, त्रेता का प्रारंभ मध्यान्ह से जहां राम का प्राकट्य है, और द्वापर की समाप्ति मध्यरात्रि पर है, जहां कृष्ण है । राम सतयुग और त्रेता के सेतु हैं,ठीक मध्यान्ह मे। कृष्ण द्वापर और कलियुग के सेतु है, ठीक मध्यरात्रि में। कहने का अर्थ 6-6 घंटे का एक चरण ,और जब तीसरे चरण की समाप्ति अर्थात् 18 घंटे की समाप्ति,वही तीसरा युग समाप्त।। यही रहस्य रहा महाभारत काल में 18 के अंक का ।