Gulzar Shayari in Hindi – गुलज़ार साहब द्वारा लिखी गई शायरी, दिल को छूने वाले गाने, नज़्म, ग़ज़लें, रोमांटिक विचार आज भी सभी के होठों पर हैं। वहीँ गुलज़ार साहब आज भी अपने जादुई शब्दों से सभी के दिलों पर राज करते हैं। आज हम यहाँ पर आपके लिए लाए हैं गुलज़ार साहेब द्वारा लिखी गई कुछ बेहतरीन शायरी हिंदी फोंट में।
गुलज़ार शायरी
मैं कभी सिगरेट पीता नहीं
गुलज़ार साहब
मगर हर आने वाले से पूछ लेता हूँ कि माचिस है?
बहुत कुछ है जिसे मैं फूँक देना चाहता हूँ.
कल फिर चाँद का ख़ंजर घोंप के सीने में
Gulzar Sahab
रात ने मेरी जाँ लेने की कोशिश की
हम तो कितनों को मह-जबीं कहते
गुलज़ार साहब
आप हैं इस लिए नहीं कहते
चाँद होता न आसमाँ पे अगर
Gulzar Sahab
हम किसे आप सा हसीं कहते
सहमा सहमा डरा सा रहता है
गुलज़ार साहब
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
एक पल देख लूँ तो उठता हूँ
Gulzar Sahab
जल गया घर ज़रा सा रहता है.
Gulzar 2 Line Shayari – गुलज़ार शायरी 2 लाइन्स
अपने साए पे पाँव रखता हूँ
गुलज़ार साहब
छाँव छालों को नर्म लगती है
Apane saaye pe paanv rakhta hoon
Chhaanv chhaalon ko narm lagati hai
चाँद की नब्ज़ देखना उठ कर
Gulzar Sahab
रात की साँस गर्म लगती है
Chaand ki nabz dekhna uth kar
Raat ki saans garm lagti hai
हवा के सींग न पकड़ो खदेड़ देती है
गुलज़ार साहब
ज़मीं से पेड़ों के टाँके उधेड़ देती है
Hawa ke seeng na pakdo khaded deti hai
Zameen se pedon ke taanke udhed deti hai
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को
Gulzar Sahab
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
Main chup karaata hu har shab umadati baarish ko
Magar ye roz gayi baat chhed deti hai
अनमोल नहीं लेकिन फिर भी
गुलज़ार साहब
पूछ तो मुफ़्त का मोल कभी
Anmol nahin lekin phir bhi
Puchh to muft ka mol kabhi
गुलज़ार की दर्द भरी शायरी – Gulzar Sad Shayari
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं
Gulzar Sahab
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें
Chand ummeede nichodi thi to aahen tapaki
Dil ko pighlaen to ho sakta hai saanse nikale
वक़्त की ज़र्ब से कट जाते हैं सब के सीने
गुलज़ार साहब
चाँद का छलका उतर जाए तो क़ाशें निकलें
Waqt kee zarb se kat jaate hain sab ke seene
Chand ka chhilka utar jae to qaashen nikale
मुझे अँधेरे में बे-शक बिठा दिया होता
Gulzar Sahab
मगर चराग़ की सूरत जला दिया होता
Mujhe andhere mein be-shak bitha diya hota
Magar charaag ki surat jala diya hota
ये शुक्र है कि मिरे पास तेरा ग़म तो रहा
गुलज़ार साहब
वगर्ना ज़िंदगी ने तो रुला दिया होता
Ye shukr hai ki mire paas tera gam to rha
Vagarna zindagi ne to rula diya hota
खिड़की में कटी हैं सब रातें
Gulzaar
कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी
Khidaki mein kati hain sab raate
Kuchh chauras thi kuchh gol kabhi
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तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की
Gulzaar
क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की
Tinka tinka kaante tode saari raat katayi ki
Kyu itni lambi hoti hai chandni raat judayi ki
सीने में दिल की आहट जैसे कोई जासूस चले
Gulzaar
हर साए का पीछा करना आदत है हरजाई की
Seene mein dil ki aahat jaise koi jasoos chale
Har saye ka peechha karna aadat hai harajai ki
आँखों और कानों में कुछ सन्नाटे से भर जाते हैं
Gulzar Shayari
क्या तुम ने उड़ती देखी है रेत कभी तन्हाई की
Aankhon aur kaano mein kuchh sannaate se bhar jaate hain
Kya tum ne udati dekhi hai ret kabhi tanhai ki
कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
Gulzar Shayari
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे
Kabhi to chaunk ke dekhe koi hamari taraf
Kisi ki aankh mein ham ko bhi intzaar dikhe
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
Gulzar Shayari
आदत इस की भी आदमी सी है
Waqt rahta nahin kahi tik kar
Aadat is ki bhi aadmi si hai
Gulzar Shayari on Love – गुलज़ार शायरी
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
Tumhari khushk si aankhe bhali nahi lagti
Wo saari cheeze jo tum ko rulayen, bheji hain
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
Gulzar Shayari on Love
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं
Tumhare khwab se har shab lipat ke sote hain
Szaye bhej do ham ne khtaayen bheji hain
आप के बाद हर घड़ी हम ने
Gulzar Shayari on Love
आप के साथ ही गुज़ारी है
Aap ke baad har ghadi ham ne
Aap ke saath hi guzaari hai
आँखों के पोछने से लगा आग का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुआँ
Aankhon ke pochhne se laga aag ka pata
Yu chehra pher lene se chhupta nahi dhuaa
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें
Chnd ummeede nichodi theen to aahen tapki
Dil ko pighlaayen to ho sakta hai saanse nikle
आज फिर जागते गुज़रेगी तेरे ख्वाब में रात
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ
Aaj phir jaagte guzregi tere khwab mein raat
Aaj phir chaand ki peshani se uthta hai dhuaa
Gulzar Shayari in Hindi
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ
Chulhe nahi jalaye ki basti hi jal gayi
Kuchh roz ho gyi hain ab uthta nahi dhuaa
ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं
कांच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में
Zor se baj na uthe pairo ki aawaaz kahi
Kaanch ke khwab hain bikhre huye tanhai me
ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो
जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा
Khwab tute na koi jaag na jaye dekho
Jaag jayega koi khwab to mar jayega
फिर किसी दर्द को सहलाकर सुजा ले आँखें
फिर किसी दुखती हुई रग में छुपा दें नश्तर
Phir kisi dard ko sahlaakar suja le aankhe
Phir kisi dukhti huyi rag me chhupa de nashtar
मेरी दहलीज़ पर बैठी हुयी जानो पे सर रखे
Gulzar Shayari in Hindi
ये शब अफ़सोस करने आई है कि मेरे घर पे
Meri dahleez par baithi huyi jaano pe sar rakhe
Ye shab afasos karne aayi hai ki mere ghar pe
गुलज़ार साहब की शायरी – Gulzar Shayari in Hindi
आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
Aaina dekh kar tasalli hui
Ham ko is ghar me jaanta hai koi
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
Haath chhoote bhi to rishte nahi chhoda karte
Waqt ki shaakh se lamhe nahi toda karte
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
Kitni lambi khamoshi se guzra hu
Un se kitna kuchh kahne ki koshish ki
कोई अटका हुआ है पल शायद
गुलज़ार शायरी
वक़्त में पड़ गया है बल शायद
Koi atka hua hai pal shayad
Waqt me pad gya hai bal shayad
आ रही है जो चाप क़दमों की
गुलज़ार शायरी
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद
Aa rahi hai jo chaap qadamo ki
Khil rhe hain kahi kanwal shayad
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One Response
दिल के कोने में दबी तस्वीर निकालते हैं गुलज़ार साहब
शौक लोगों को रुलाने के पालते हैं गुलज़ार साहब
~ मुहम्मद आसिफ अली
Thank you रोशनदान for sharing Gulzar sahab poetry with us.