Rahim Ke Dohe – संत रहीम दास के दोहे with meaning in Hindi

संत रहीम दास के दोहे

रहीम के दोहे हम सभी ने अपने बचपन में कई कक्षाओं में पढ़े है. शायद महान कवि रहीम दास याद करने के पीछे आपने मार भी खाई हो या डांट भी पड़ी हो. Rahim Ke Dohe का हमारे जीवन में बेहद महत्व है लेकिन बदलती जीवनशैली के कारण सभी इन्हें भूलते जा रहे हैं . रहीम जी जैसे प्रेरक महापुरुषों के उत्कृष्ट विचारों से ओतप्रोत होने से हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का भरपूर संचार होता है.

जीवन को आसान और उपयोगिता समझाने वाले रहीम दास के दोहे चाय में डाली गयी शक्कर के जैसे हैं, जो थोड़ी सी डालने पर ही पूरी चाय को मीठा कर देते हैं . रहीम जी के दोहे अनंत काल तक ऐसे ही सभी के जीवन को प्रकाशित करते रहेंगे, इसमें कोई शक नहीं है. यह हमेशा ही उतने महत्वपूर्ण रहेंगे जितने अकबर के समय में थे.

रहीम जी के बारे में

पूरा नाम – अब्दुल रहीम खान-ए-खाना
जन्म –1556 लाहौर (अकबर काल)
मृत्यु –1627
पिता –मरहूम बैरम खान-ए-खाना
प्रसिद्धी –कवि

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फोटो में दी गयी जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है.

संत रहीम दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित (1-10)

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रहीम दास के दोहे – Rahim Das Ke Dohe

छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात ।
कह रहीम हरि का घट्यौ, जो भृगु मारी लात ॥

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि बड़ों को क्षमा शोभा देती है और छोटों को उत्पात (बदमाशी)। अर्थात अगर छोटे बदमाशी करें कोई बड़ी बात नहीं और बड़ों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिए। छोटे अगर उत्पात मचाएं तो उनका उत्पात भी छोटा ही होता है। जैसे यदि कोई कीड़ा (भृगु) अगर लात मारे भी तो उससे कोई हानि नहीं होती।

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीता है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में संत रहीम दास जी कहते हैं कि दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।

खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।
रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में संत रहीम दास जी कहते हैं कि दुनिया जानती है कि खैरियत, खून, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मदिरा का नशा छुपाए नहीं छुपता है।

जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय।
प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।

रहिमन थोरे दिनन को, कौन करे मुहँ स्याह 
नहीं छलन को परतिया, नहीं कारन को ब्याह

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं – थोड़े दिन के लिए कौन अपना मूंह काला करता हैं क्यूंकि पर नारी को ना धोखा दिया जा सकता हैं और ना ही विवाह किया जा सकता है.

आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि।
ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में रहीम दास जी कहते हैं कि ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।

खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय।
रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि खीरे को सिर से काटना चाहिए और उस पर नमक लगाना चाहिए। यदि किसी के मुंह से कटु वाणी निकले तो उसे भी यही सजा होनी चाहिए।

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥

हिंदी अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।

जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग।
कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में रहीम दास जी कहते हैं कि जो गरीब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना है।

Rahim Das Ke Dohe – रहीम दास के दोहे (11-20)

रहीम के दोहे सरल, सुंदर, अर्थपूर्ण और बेहद लोकप्रिय हैं। वे सदियों से लाखों लोगों के होंठों पर हैं और अक्सर आम लोगों और साहित्यकारों द्वारा बातचीत, बहस और लेखन के दौरान उद्धृत किए जाते हैं। Rahim Ke Dohe हमें सरल, विनम्र और परोपकारी होने की प्रेरणा देते हैं।

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रहीम के दोहे – Rahim Ke Dohe

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥

हिंदी अर्थ – संत रहीम जी कहते हैं कि दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।

रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में संत रहीम जी कहते हैं कि बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती।

बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय।
ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥

हिंदी अर्थ – संत रहीम जी कहते हैं कि जब ओछे लक्ष्य के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने पर्वत को उठाया था तो उनका नाम ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|

माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि।
फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में संत रहीम जी कहते हैं कि माली को आते देखकर कलियां कहती हैं कि आज तो उसने फूल चुन लिया पर कल को हमारी बारी भी आएगी क्योंकि कल हम भी खिलकर फूल हो जाएंगे।

एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥

हिंदी अर्थ – संत रहीम जी कहते हैं कि एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है। इसलिए केवल परमात्मा में ही ध्यान लगाना चाहिए.

रहिमन वे नर मर गये, जे कछु माँगन जाहि।
उनते पहिले वे मुये, जिन मुख निकसत नाहि॥

हिंदी अर्थ – संत रहीम जी कहते हैं कि जो व्यक्ति किसी से कुछ मांगने के लिए जाता है वो तो मरे हुए हैं ही परन्तु उससे पहले ही वे लोग मर जाते हैं जिनके मुंह से कुछ भी नहीं निकलता है।

रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय।
हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय॥

हिंदी अर्थ – संत रहीम जी कहते हैं कि कुछ दिन रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अहित सोचता है।

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥

हिंदी अर्थ -बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका फल इतना दूर होता है कि तोड़ना मुश्किल का काम है।

रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय।
सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥

हिंदी अर्थ – अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है।

रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

हिंदी अर्थ – जब बुरे दिन आए हों तो चुप ही बैठना चाहिए, क्योंकि जब अच्छे दिन आते हैं तब बात बनते देर नहीं लगती।

Rahim Ke Dohe with meaning in Hindi (21-30)

रहीम न केवल एक महान कवि थे बल्कि एक महान विद्वान और महान सलाहकार भी थे, जिन गुणों के कारण उन्हें अकबर के नवरत्नों में से एक बनाया गया।

हरका बाई (अकबर की पत्नी, जोधा बाई) भगवान कृष्ण की बहुत बड़ी भक्त थी। यहीं से रहीम भी भगवान कृष्ण से प्रभावित हो गए। इसलिए बाद में उन्होंने भगवान श्री कृष्ण पर दोहा लिखना शुरू किया। Rahim Ke Dohe इतने प्रसिद्ध हुए कि तुलसी दास जी ने भी उन्हें सराहा।

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रहीम दास के दोहे – Rahim Das Ke Dohe

बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय॥

हिंदी अर्थ – अपने मन से अहंकार को निकालकर ऐसी बात करनी चाहिए जिसे सुनकर दूसरों को खुशी हो और खुद भी खुश हों।

मन मोती अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय।
फट जाये तो ना मिले, कोटिन करो उपाय॥

हिंदी अर्थ – इस दोहे में रहीम जी कहते हैं कि मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं परन्तु यदि एक बार वे फट जाएं तो करोड़ों उपाय कर लो वे फिर वापस अपने सहज रूप में नहीं आते।

रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली ना प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँति विपरीत॥

हिंदी अर्थ – कम दिमाग के व्यक्तियों से ना तो प्रीती और ना ही दुश्मनी अच्छी होती है। जैसे कुत्ता चाहे काटे या चाटे दोनों को विपरीत नहीं माना जाता है।

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥

हिंदी अर्थ – प्रेम के धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए क्योंकि यह यदि एक बार टूट जाता है तो फिर दुबारा नहीं जुड़ता है और यदि जुड़ता भी है तो गांठ तो पड़ ही जाती है।

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

रहीम कहते हैं कि पानी का बहुत महत्त्व है। इसे बनाए रखो। यदि पानी समाप्त हो गया तो न तो मोती का कोई महत्त्व है, न मनुष्य का और न आटे का। पानी (अर्थात चमक या आभा) के बिना मोती बेकार है। पानी (अर्थात सम्मान) के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है और जल के बिना रोटी नहीं बन सकती, इसलिए आटा भी बेकार है। इसलिए मनुष्य को भी अपने व्यवहार में हमेशा पानी (विनम्रता) रखना चाहिए.

इस दोहे में रहीम जी ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है – विनम्रता, चमक, जल.

रहिमन उजली प्रकृति को नहीं नीच को संग
करिया वासन कर गहे कालिख लागत अंग ।

हिंदी अर्थ – अच्छे लेागों को नीच लोगों की संगति नही करनी चाहिये । कालिख लगे बरतन को पकड़ने से हाथ काले हो जाते हैं। नीच लोगों के साथ बदनामी का दाग लग जाता है।

समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात |
सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात
||

हिंदी अर्थ – रहीम दास कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है.

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग |
बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग
||

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं कि वे लोग धन्य हैं जिनका शरीर सदा सबका उपकार करता है. जिस प्रकार मेंहदी बांटने वाले के अंग पर भी मेंहदी का रंग लग जाता है, उसी प्रकार परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता है.

रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय |
हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय ||

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।

पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन |
अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन ||

हिंदी अर्थ – वर्षा ऋतु को देखकर कोयल और रहीम के मन ने मौन साध लिया है. अब तो मेंढक ही बोलने वाले हैं। हमारी तो कोई बात ही नहीं पूछता. अभिप्राय यह है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है. उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है.

Sant Rahim Das Ke Dohe in Hindi (31-40)

रहीम जी को फारसी, अरबी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान था। वे बहुत ही भावुक कवि थे और विद्वान भी। उन्होंने वैराग्य, नीति, ज्ञान, भक्ति और जीवन के गहरे और व्यावहारिक विषयों पर काफी दोहे लिखे। Rahim Ke Dohe आज भी प्रासंगिक है।

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रहीम दास के दोहे – Rahim Ke Dohe

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय
सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता.

रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ,
जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं की आंसू नयनों से बहकर मन का दुःख प्रकट कर देते हैं। सत्य ही है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से कह ही देगा.

दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं
जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं

हिंदी अर्थ – कौआ और कोयल रंग में एक समान होते हैं। जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती।लेकिन जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है.

खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय
रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय

हिंदी अर्थ – खीरे का कडवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगा कर घिसा जाता है. रहीम कहते हैं कि कड़ुवे मुंह वाले के लिए – कटु वचन बोलने वाले के लिए यही सजा ठीक है.

जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह.
धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह

हिंदी अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि जैसी इस देह पर पड़ती है – सहन करनी चाहिए, क्योंकि इस धरती पर ही सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती है. अर्थात जैसे धरती शीत, धूप और वर्षा सहन करती है, उसी प्रकार शरीर को सुख-दुःख सहन करना चाहिए.

जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं
गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती.

रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार
रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार

हिंदी अर्थ – यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए, क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.

जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग.
चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग.

हिंदी अर्थ – रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी बिगाड़ नहीं पाती. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते.

रहिमन मनहि लगाईं कै, देखि लेहू किन कोय।
नर को बस करिबो कहा, नारायन बस होय ||

रहीम जी कहते हैं कि शत प्रतिशत मन लगा कर किये गए काम को देखें, उसमें कैसी सफलता मिलती है. अगर अच्छी नियत और मेहनत से कोई भी काम किया जाए तो सफलता मिलती ही है क्योंकि सही एवं उचित परिश्रम से इंसान ही नहीं भगवान को भी जीता जा सकता है.

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय

हिंदी अर्थ – संत रहीम दास जी कहते हैं कि मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे ठीक करना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.

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