रोशनदान पर शायरी, कवितायें
रोशनदान शायरी | Roshandaan Shayari कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें,जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा,मैं जो घर के खिड़की
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रोशनदान शायरी | Roshandaan Shayari कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें,जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा,मैं जो घर के खिड़की