हिमालय में स्थित कैलाश पर्वत को इस दुनिया का सबसे ज्यादा रहस्यमयी पर्वत माना गया है. इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहाँ पर सिर्फ अच्छी शक्तियां या आत्माएं ही निवास कर सकती हैं. इस पर्वत को अनदेखी शक्तियों का प्रसिद्ध गढ़ माना जाता है.
कैलाश पर्वत का वर्णन हिन्दू धर्म के वेदों और पुराणों में कई बार मिलता है. इसका उल्लेख भगवान शिव के निवास स्थान के रूप में मिलता है इस वजह से हिन्दू धर्म में इसे एक पवित्र जगह माना जाता है।
इस लेख में आपको कैलाश पर्वत से जुडी कुछ रहस्यमई बातें मिलेंगी.
1. कैलाश का पिरामिडनुमा आकार!
इस रहस्यमयी पर्वत का आकार एक पिरामिड जैसा है. वैज्ञानिकों का इसके बारे में ऐसा कहना है कि यह पृथ्वी का केंद्र स्थान है. इसको axis mundi नाम से जाना जाता है जिसका मतलब होता है पृथ्वी का केंद्र/नाभि या आकाशीय ध्रुव. इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर सभी दशों दिशाएं मिल जाती हैं और यह पृथ्वी और आकाश के बीच मौजूद सम्बन्ध का एकमात्र बिंदु है.
रूस के वैज्ञानिकों ने एक्सिस मुंडी को एक ऐसी जगह के रूप में परिभाषित किया है जहाँ पर अनेकों अदृश्य और अलौकिक शक्तियां मौजूद हैं और यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर इन शक्तियों के साथ अपना सम्पर्क बनाया जा सकता है।
2. अलोकिक शक्ति
जब रूस के कुछ वैज्ञानिकों की टीम ने कैलाश पर्वत पर अध्ययन किया और तिब्बत में रहने वाले धर्मगुरुओं से बात की तब उन्होंने कैलाश पर्वत के बारे में बताया कि यहाँ पर एक अलोकिक शक्ति मौजूद है. इस जगह पर तपस्वी आज भी टेलीपैथिक संपर्क से आध्यात्मिक गुरुओं से बातें करते हैं.
कैलाश पर्वत पर यति (जिन्हें हिम मानव भी कहा जाता है) को देखे जाने की ख़बरें सुनी जाती रही हैं. लोगों के कथन के अनुसार हिमालय के इन हिम मानवों के साथ भूतों और योगियों का देखा जाता है जो इंसानों को मारकर खा जाते हैं. दुनिया के 30% से ज्यादा वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हिमालय में हिम मानव मौजूद हैं.
3. कैलाश पर्वत के पास सरोवर और नदियाँ
कैलाश पर्वत पर 2 मुख्य सरोवर हैं. इनमें से पहला सरोवर मानसरोवर है और यह पूरी दुनिया में अपने शुद्ध पानी की वजह से प्रसिद्ध है। दूसरा सरोवर राक्षस नामक झील है जो पुरे विश्व में अपने खारे पानी की वजह से कुख्यात है। इन दोनों सरोवरों को सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों से जोड़कर देखा जाता रहा है। इन सरोवरों का निर्माण मनुष्य द्वारा किया गया है या ये सरोवर प्राकर्तिक हैं, यह बात आजतक एक रहस्य ही बनी हुई है?
कैलाश पर्वत से 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम होता है- सिन्धु, सतलुज, ब्रह्मपुत्र व करनाली नदी। इन्हीं नदियों से गंगा और चीन की नदियाँ भी निकली हैं। कैलाश पर्वत की चारों दिशाओं में अलग-अलग जानवरों के मुख बने हुए हैं जिनमें से नदियों का उद्गम होता है।
4. कैलाश पर आवाज और रोशनी का रहस्य
जब कोई कैलाश पर्वत के क्षेत्र में जाता है तब उसको लगातार आवाज सुनाई पड़ती रहती है. ध्यान से सुनने पर यह आवाज ‘ॐ’ या ‘डमरू’ के जैसी होती है। वैज्ञानिक इसके बारे में कहते हैं कि यह आवाज बर्फ के पिघलने की भी हो सकती है। ऐसा भी मुमकिन हो सकता है कि यहाँ पर हवा, प्रकाश और वातावरण का ऐसा समागम हो जिससे ‘ॐ’ की ध्वनि पैदा होती हो।
कैलाश पर्वत के बारे में ऐसा दावा भी किया जाता रहा है कि कैलाश पर्वत के आसमान में कई बार 7 तरह की लाइटें चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वैज्ञानिकों ने इस बात पर अध्ययन किया और यह निष्कर्ष निकाला कि ऐसा यहां पर मौजूद किसी चुम्बकीय बल की वजह से ऐसी घटना हो रही है। कैलाश पर्वत का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर ऐसी ही कई रहस्यमई चीजों को जन्म दे सकता है।
5. कैलाश पर न चढ़ पाने का रहस्य?
कैलाश पर्वत पर न चढ़ पाने के पीछे बहुत सी कहानियां प्रसिद्ध हैं. कुछ लोग इसे आस्था से जोड़कर देखते हैं. उनका मानना है कि इस पर्वत पर भगवान शिव जी का निवास है इस वजह से यहाँ पर कोई भी नहीं पहुँच सकता. इस पर्वत पर बस वही इंसान जा सकता है जिसने कोई पाप ना किया हो या अपनी मौत के बाद ही वह इस जगह पर जा सकता है.
कैलाश पर्वत की ऊंचाई माउन्ट एवेरेस्ट से 2000 मीटर कम है. मगर इस पर आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया है. दूसरी तरफ माउन्ट एवेरेस्ट को 7000 से ज्यादा लोग फ़तेह कर चुके हैं. इसके पीछे क्या रहस्य है, इस बात का पता आज तक नहीं चला है. फिलहाल कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने पर रोक लगी हुई है.
कैलाश पर्वत ऐसी जगह पर है जहाँ पर कोई दूसरा बड़ा पर्वत नहीं है. रूस की ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन में छपे एक लेख के मुताबिक एक तिब्बती बौद्ध अनुयायी मिलारेपा ने 11वीं शताब्दी में कैलाश पर्वत पर एक बार चढ़ाई की थी. यह लेख जनवरी 2004 में प्रकाशित हुआ था.
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि इस पर्वत पर कुछ दूर की चढ़ाई करने के बाद वो इंसान अपना रास्ता भटक जाता है, एक वजह यह भी हो सकती है कि कोई भी इस पर्वत पर नही चढ़ सका है क्योंकि बिना सही रास्ता जाने पर्वत पर चढ़ना अपनी मौत को दावत देने जैसा है.
कुछ रिपोर्ट्स की मानी जाए तो कैलाश पर्वत रेडियोएक्टिव है, इस लिए इस पर्वत पर चढ़ पाना बहुत मुश्किल है. एक मीडिया रिपोर्ट में तो यह बताया गया था कि एक पर्वतारोही ने कैलाश पर्वत के बारे में अपने एक किताब में ऐसा लिखा है कि इस पर्वत पर रहना असंभव है क्योंकि यहाँ पर इंसान के शरीर के नाख़ून और बाल बहुत तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं.
कैलाश पर्वत पर चढ़ने कि कोशिशें
सरगे सिस्टियाकोव (रूस का पर्वतारोही) ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, अपने उस अनुभव को बताते हुए उनहोंने कहा कि जब वह कैलाश पर्वत के शिखर तक पहुँचने से सिर्फ कुछ दूर था उस समय उसका दिल जोर जोर से धडकने लगा और उसे अचानक अपने शरीर में एक कमजोरी महसूस होने लगी. उसके बाद वो वापिस नीचे की तरफ आ गया और जैसे जैसे वह नीचे आता गया उसकी दिल की धड़कन ठीक होती गयी.
2001 में चीन ने एक स्पेन कि टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी. इसके बाद इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश किसी ने नहीं की है. इसके बाद कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने पर रोक लगा दी गई है.